किस्सा सपने का- हास्य रचना
#लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता के लिये
आज सुबह की बात है
मेरे पतिदेव ने बोला
मॉर्निग वॉक वाले फ्रेंड्स का ग्रुप
जा रहा है गोआ
ये सब मुझे बता रहे क्यूं
क्या आपको भी है जाना
मेरे अचरज की सीमा न रही
जब पूछने पे वो बोले–"हाँ"
सुनके मेरा माथा ठनका
और बहुत ही गुस्सा आया
पर उनकी हिम्मत को देख
मैंने हल्के से मुस्काया
मुझको ये सब बात बताकर
क्यों मेरे मन में आग लगाते हो
फैमिली के साथ जाने को कहूँ
तो कोरोना का बहाना बनाते हो
क्या कोरोना के वायरस
मुझे देख के एक्टिव होते हैं
संग बीवी बच्चों के जाना हो
तो सौ काम पेंडिंग होते हैं
आप पुरुष लोग तो बस
परिवार से मुक्ति चाहते
हम स्त्रियां कहीं जाती तो
संग लेकर जाती अपने बच्चे
मुझे गुस्से में देख उन्होंने
मौन व्रत धारण किया
और घर की शान्ति हेतु
गोआ यात्रा का त्याग किया
वो चुपचाप बैठे थे
पर मेरा भाषण रुका नही
तभी ऐसा लगा दूर से
जैसे कोई धुन बज रही
कुछ ध्यान से सुनने पर जाना
ये अलार्म है सुबह का
मैंने चैन की सांस ली क्योंकि
ये था किस्सा सपने का
प्रीति ताम्रकार
जबलपुर
Shrishti pandey
13-Apr-2022 09:11 AM
Nice
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Swati Sharma
13-Apr-2022 08:23 AM
बेहतरीन
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Punam verma
13-Apr-2022 12:04 AM
Nice
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